जीवनीय उभय समृद्धि केन्द्र, लखनऊ

पृश्ठभूमि

उभय समृद्धि हेतु एक केन्द्र अक्तूबर 2014 में लखनऊ मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर हरदोई रोड पर मलिहाबाद की अमराइयों के सुरम्य वातावरण में आस-पास के गांवों के समूह को मिलाकर समग्र विकास के प्रयासों हेतु स्थापित किया गया है। इसका प्रमुख उद्देष्य आसपास के गावों में समग्र स्वास्थ्य, कृशि, षिक्षा, कौषल विकास ट्ठारा सतत ग्रामीण विकास में सहायक विषिश्ट प्रयोंगों को बढावा देना है। यह केन्द्र अपने व ऐसे अन्य प्रयोगों के आधार पर लोगों को संयुक्त प्रयासों को प्रेरित करते हुऐ सूचना, षिक्षा, संचार, प्रषिक्षण तथा अनुसंधान केन्द्र के रुप में इन सभी क्षेत्रों में ”व्यापक दृश्टिकोण के साथ स्थानीय कार्यवाही“ की धारणा के साथ स्थानीय समूहों को लाभान्वित करने की ओर प्रयासरत है।

दृश्टिकोण

उभय समृद्धि के दृश्टिकोण में सभी हितकारक अपने संयुक्त प्रयासों द्वारा सभी का लाभ सुनिष्वित करते हैं। केन्द्र जहां स्थानीय समाज के अनुरुप कृशि, स्वास्थ्य, षिक्षा, तथा कौषल विकास के कार्य षनैः षनैः करने हेतु आधारभूत जानकारी को समाजिक सहभागिता से एकत्र कर रहा है वहीं समूहों को एक साथ जोडकर उनके सतत उत्थान के लिए भी प्रयासरत है। हम चाहते हैं कि हमारा प्रयास आने वाले 5 वर्शो में उन्हें स्वावलंबी बना सके।

योजना

स्थानीय संस्थाओं व समाज के सहयोग से किये सर्वेक्षण के फलस्वरुप रसायन मुक्त कृशि, स्वास्थ्य, पर्यावरण तथा षिक्षा के क्षेत्र में कार्य प्रारम्भ किया गया। यह विचार किया गया कि प्रारम्भ में इस प्रकार के जैविक खेती और बगीचों के माडल विकसित किये जायें जहांपर किसान तकनीकी रुप से इसके व्यावहारिक रुप को अपना सकें। यह भी महसूस किया गया कि ग्रामीण उत्पादकों व षहरी उपभोक्ताओं के मध्य एक समन्यवय स्थापित किया जाय जो उन्हें जहरमुक्त भोजन की उपलब्धता तथा पारम्परिक किसानों की आजीविका को सुनिष्चित कर सके। वर्तमान में उपयुक्त टीम के अभाव में षिक्षा तथा स्वास्थ्य पर थोडा परंतु जैविक खाद्य पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

वर्तमान स्थिति

कुकरा ग्राम की स्थिति

श्री राजकुमार महरोत्रा के आम के बाग में 40’ ग् 20’ का एक बहुउद्ेषीय हाल तथा एक 40’ ग् 15’ का एक विस्तारित बहुगतिविधि षेड का निर्माण किया गया है। इस हाल तथा षेड का प्रयोग कृशि, स्वास्थ्य, षिक्षा तथा कौषल विकास के सम्बन्ध में आयोजित कार्यक्रमों तथा धन उर्पाजन कार्यक्रमों हेतु किया जा रहा है। हाल व साथ के छायादार स्थान का प्रयोग जडी-बूटियों को सुखाने व खाद्यान्य प्रसंसकरण हेतु भी किया जा रहा है। स्टाफ के सदस्यों के लिये एक निवास, षौचालय, स्नानघर, निधूम सामुदायिक चूल्हे का निर्माण किया गया है। निवास के बाहरी दालान का प्रयोग छोटी-मोटी प्रदर्षिनी तथा बैठकों के लिये भी किया जा रहा है।