ऐतिहासिक पृश्ठभूमि

पारम्परिक भारतीय प्रणालियों के महत्व के बारे में लोगों के प्रति जागरुकता पैदा करने और प्राथमिक स्वास्थ्य में देखभाल हेतु औशधीय पौधों के उपयोग को बढावा देने के उद्देष्य के प्रति समर्पित वैज्ञानिकों, स्वास्थ्य चिकित्सकों और अन्य लोगों नें लोक स्वास्थ्य परंपरा संवर्धन समिति (LSPSS), तथा कोयंबटूर की क्षेत्रीय इकाई तथा युवा वैज्ञानिक अकादमी (AYS) चंडीगढ़ के बैनर तले 1988-91 के दौरान लखनऊ में इस कार्य को प्रारम्भ किया। समूह का विष्वास है कि नीतिगत हस्तक्षेप जमीनी स्तर पर अनुभवों पर आधारित होना चाहिये।

समूह नें उत्तरी भारत में स्थानीय स्वास्थ्य परंपराओं का अध्ययन किया तथा हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाशाओं में एक द्विमासिक स्वास्थ्य पत्रिका का प्रकाषन किया। हिन्दी में अन्य स्वास्थ्य षिक्षा सामग्री और कई मोनोग्राफ का प्रकाषन भी किया। हर्वल उद्यानों की स्थापना, स्कूल स्वस्थ्य जांच, जडी-बूटी यात्रा तथा स्वास्थ्य जागरुकता के कार्यक्रम आदि आयोजित किये गये। 1991 में यह समूह जीवनीय सोसाइटी के रुप में उभरा तथा इसे 1992 में एक स्वैच्छिक संगठन के रुप में पंजीकृत किया गया।