पूरी की गयी परियोजनाएं

जीवनीय सोसाइटी द्वारा परिचालित परियोजनाओं का सारांष निम्नवत है। परियोजना की विस्तृत जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें।
क्र0सं0 कार्यक्रम/परियोजना प्रायोजक/सहयोगी अवधि उद्देष्य परिणाम टिप्पणियां
1 लोक स्वास्थ्य परंपरा संवर्धन कापार्ट, भारत सरकार तथा आयुर्वेद विभाग उत्तर प्रदेश 1988-1992 स्वास्थ्य परंपराओं द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का एक आत्मनिर्भर माडल का विकास प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं हेतु जड़ी-बूटी उद्यानों के माध्यम से जागरुकता प्रदान करना तथा सरकारी आयुर्वेद औशधालय में सरल दवा तैयार करने की सुविधा प्रदान करना
समाज में लोक स्वास्थ्य परंपराओं तथा स्वास्थ्य चिकित्सकों का सर्वेक्षण एवं प्रलेखन
गोनी-गोंडवा, हरदोई के भरावन व्लाक में यह कार्य परियोजना के पूर्ण होने के बाद भी कई वर्श चलता रहा। उद्यान में बहुत सारी प्रजातियां अभी तक संरक्षित हैं।
2 लोक स्वास्थ्य परंपराओं में अनुसंधान की प्राथमिकताओं पर विचारमंथन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, केन्द्रीय औशधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ मार्च 1989 लोक स्वास्थ्य परंपराओं को समृद्धि हेतु अनुसंधान में प्राथमिकता हेतु क्षेत्रांे की पहचान कर्यषाला का आयोजन, रिपोर्ट का प्रस्तुतीकरण तथा अनुषंसाए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सराकार नें औशधीय पौधों पर एक कार्यक्रम का षुभारंभ किया
3 जीवनीय पत्रिका का प्रकाषन (हिन्दी और अंग्रेजी) कापार्ट, भारत सरकार 1989-98 औशधीय और अपने आस-पास की खाद्य सामग्री को उपयोग में लाकर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हेतु 9 वर्शो तक लगातार प्रकाषित तथा व्यापक रुप से प्रसारित बड़ी संख्या में गैरसरकारी संगठनों तथा सरकारी संस्थाओं द्वारा स्वास्थ्य षिक्षा तथा प्रौढ़ षिक्षा में उपयोग में लाया गया।
4 फूलों की घाटी में जड़ी-बूटी यात्रा कापार्ट, भारत सरकार मई 1990 औशधीय पौधों के बारे में जानकारी प्राप्त करना तथा प्रसंस्करण 100 से अधिक पौधों पर आंकड़ों का संग्रह। बाद में चित्रकूट, गोंडा, उदयपुर तथा कांगडा में भी यात्राएं की गयीं।
5 पीलिया पर राश्ट्ीय कार्यषाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकारए कापार्ट, भारत सरकारए केन्द्रीय औशधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ सितम्बर 1991 पीलिया के विभिन्न पहलुओं पर आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध होम्योपैथी और एलोपैथी के चिकित्सकों के बीच अनुभवों को साझा किया सम्मेलन का प्रायोजन तथा रिपोर्ट का प्रकाषन और सहयोगियों द्वारा कार्यक्रम चलाए गये। स्वास्थ्य देखभाल और षोध संस्थाओं द्वारा अनुसंधान की प्रेरणा।
6 कानपुर में पीलिया महामारी पर स्वास्थ्य सेवाएं तथा सर्वेक्षण स्वप्रयास, उद्योग जगत तथा उत्तर प्रदेश सरकार से समन्वय द्वारा। मई-जुलाई 1991 महामारी के फैलने और इसकी भयावहता के कारणों को समझने हेतु सर्वेक्षण तथा स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने हेतु 2000 परिवारों का घर-घर सर्वेक्षण कर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर उत्तर प्रदेश सरकार को सिफारिषंे दीं तथा विष्व स्वास्थ्य संगठन में प्रस्तुत किया। अध्ययनों से यह पता चला कि यह दुनिया में सबसे बड़ी पीलिया महामारी थी (दो षोध रिपोर्ट प्रकाषित), लखनऊ में भी इसका अनुसरण किया गया।
7 लोक स्वास्थ्य परंपरा पर पोस्टरों का प्रकाषन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार 1991-94 आम बीमारियों की रोकथाम में औशधीय पौधों के प्रयोग की जानकारी का प्रसार दीवारें पर लगाने वाले 13 पोस्टरों का प्रकाषन बड़ी संख्या में गैर सरकारी संगठनों तथा सरकारी संगठनों नें स्वास्थ्य तथा प्रौढ़ षिक्षा में प्रयोग किया है।
8 लोक स्वास्थ्य परंपराओं पर हिन्दी में अनुवादित मोनोग्राफ का प्रकाषन कापार्ट, भारत सरकार 1989-94 लोक स्वास्थ्य परंपरा संर्वधन समिति के अंग्रेजी मोनोग्राफों का हिन्दी अनुवाद तथा हिन्दी भाशी क्षेत्र में प्रसार तीन मोनोग्राफों का प्रकाषन 1996-97 में भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय नें एक मोनोग्राफ को उत्कृश्ट प्रकाषन हेतु चयनित किया
9 विज्ञान प्रत्रकारिता पर पाठ्यक्रम की रुपरेखा विकसित करने हेतु प्रषिक्षण कार्यक्रम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार की राश्ट्रीय परिशद, भारत सरकार 1994-97 संस्थाओं तथा व्यक्तिगत रुप से कार्यरत लोगों हेतु विज्ञान संचार पाठ्यक्रम का विकास विकास एवं मूल्यांकन पर 12-12 सप्ताह के दो प्रषिक्षण कार्यक्रम का आयोजन। प्रषिक्षुओं को लखनऊ विष्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र वितरित किये गये।
10 दैनिक जीवन में विज्ञान हेतु पुस्तिकाओं का प्रकाषन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार 1995-2000 वैज्ञानिक सोंच को बढ़ावा देने के लिए लोकप्रिय विज्ञान पर पुस्तकों का प्रकाषन विज्ञान लेखन की विभिन्न षैलियों के अन्र्तगत 8 पुस्तकों का प्रकाषन कुछ अन्य निजी प्रकाषकों नें हमारे द्वारा लिखी ऐसी अन्य पुस्तक प्रकाषित कीं
11 उत्तर भारत में औशधीय पौधों की उपलब्धता की स्थिति कापार्ट, भारत सरकार 1995-2000 कुछ राज्यों के बाजारों, नर्सरी, बागों में औशधि एवं सगंध पौधों की उपलब्धता पर आकड़ों का संग्रह। 2005 में सर्वेक्षण रिपोर्ट का प्रकाषन कई राज्यों में इस संदर्भ में चर्चा।
12 आयुर्वेद पर अन्र्तराश्ट्रीय कार्यषाला बायो वेड (अमेरिका तथा भारत), संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज, केन्द्रीय औशधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ 1997 आयुर्वेद तथा आधुनिक चिकित्सा के बीच संवाद स्थापित करने के लिए मौलिक सिद्धान्तों और विषिश्ट विशयों को विकसित करना। संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज व केन्द्रीय औशधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के सहयोग से सम्मेलन का आयोजन संबंधित एजेंसियों के साथ अनुवर्ती परियोजनाओं को विकसित करने का प्रयास।
13 लोक स्वास्थ्य परंपरा के चिकित्सकों तथा गैर सरकारी संगठनों का उत्तर भारतीय सम्मेलन प्ळैैैए केन्द्रीय औशधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ 1998 देष के उत्तरी राज्यों के लोक स्वास्थ्य परंपरा के चिकित्सकों का समन्वय तथा अनुभवों को एक दूसरे के बीच बांटना। उत्तर भारत में भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के चिकित्सकों का राज्यवार नेटवर्क स्थापित करना। कई अनुवर्ती बैठकों का आयोजन।
14 पारंपरिक चिकित्सा पर क्षेत्रीय कार्यषाला, लखनऊ पीपीएसटी फाउंडेषन, चेन्नई तथा राजकीय आयुर्वेदिक कालेज, लखनऊ सितम्बर 1998 उत्तरी भारत में लोक स्वास्थ्य परंपराओं की स्थिति तथा स्वास्थ्य सेवा में भूमिका समझना। उत्तर भारत से आयुर्वेदिक, यूनानी और लोक स्वास्थ्य परंपरा चिकित्सक तथा गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की भागेदारी तथा स्मारिका का प्रकाषन सिफारिषों के अनुरुप विभिन्न हितधारकों की भागीदारी सुनिचित करने के लिए प्रयास।
15 विज्ञान और प्रौद्यागिकी के तीसरे सम्मेलन में परंपरिक स्वास्थ्य गोश्ठी। कापार्ट, भारत सरकार, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिशद, भारतीय दार्षनिक अनुसंधान परिशद, पीपीएसटी फाउंडेषन, चेन्नई तथा गांधी विचार परिशद, वाराणसी अक्तूबर 1998 भारतीय संदर्भ में लोक स्वास्थ्य परंपराओं की संभावना और भूमिका के बारे में विभिन्न हितधारकों के मध्य संवाद स्थापित करना वैज्ञानिकों, गैर सरकारी संगठनों तथा चिकित्सकों का सम्मेलन तथा स्मारिका का प्रकाषन अनुषंसाओं के अनुपालन हेतु हितधारकों की भागीदारी सुनिष्चित करनें हेतु प्रयास
16 हर्बल दवाओं पर स्वर्ण जयंती सम्मेलन तथा स्वदेषी विज्ञान मेला के क्षेत्रीय सम्मेलन के अन्र्तगत हर्बल उत्पादों की राश्ट्रीय प्रदर्षनी कापार्ट, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक, विज्ञान भारती, CBMD, Dept of ISM&H, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिशदए खादी और ग्रामोद्योग आयोग, CST of UP अप्रैल 2000 चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों में हर्बल दवाओं के विकास के लिए चिकित्सकों के बीच संवाद स्थापित करना सम्मेलन का आयोजन तथा विभिन्न स्तरों पर उभरी सिफारिषों का कार्यान्वयन। पारंपरिक चिकित्सा की विषेश प्रथाओं का प्रर्दषन, संक्षिप्त विवरणों एवं षोधपत्रों का प्रकाषन विभिन्न हितधारकों को अनुषंसाएं भेजी गयीं
17 आरसीएच कार्यक्रम के तहत भारतीय चिकित्सा पद्धतियों द्वारा उपचार की उपलब्धता पर जागरुकता अभियान। परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार 1999-2003 लखनऊ तथा उसके आसपास उपलब्ध जड़ी-बूटियों पर जागरुकता फैलाना स्वास्थ्य षिविरों और जागरुकता अभियानों के माध्यम से स्कूलों, पार्को, किसानों और घरेलू जड़ी-बूटी बगीचों की स्थापना एवं उनके प्रयोग को प्रोत्साहन।
मातृ एवं षिषु स्वास्थ्य में उपयोगी मसालों तथा 51 जड़ी-बूटियों पर आधारित औशधीय पौधों पर 20 पोस्टरों के सेट का प्रकाषन।
स्वास्थ्य षिविरों तथा जागरुकता कार्यों का आयोजन जारी है।
18 उत्तर प्रदेश की कृशि वानिकी में औशधीय पौधों की भागीदारी में प्रषिक्षण राष्ट्रीय औशधि पादप बोर्ड, भारत सरकार 2004-06 लखनऊ के आसपास के जिलों में औशधीय एवं सगंध पौधों की खेती का बढ़ावा। औशधीय एवं सगंध पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रषिक्षण एवं जागरुकता कार्यक्रम, गुणवत्ता पूर्ण रोपण सामग्री उपलब्ध कराना तथा कृशि प्रर्दषों की स्थापना। खेती, प्रसंस्करण और विपणन से संबधित प्रारंभिक मार्गदर्षक पुस्तिका का प्रकाषन। अपने प्रयासों से अभी तक यह कार्य प्रगति पर है।
19 प्राथमिक चिकित्सा तथा आय सृजन में औशधीय पौधांे के प्रयोग पर राश्ट्रीय संगोश्ठी। कापार्ट, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिशद, राश्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थानए भारत सरकार तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिशद उत्तर प्रदेश मार्च 2003 प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में औशधीय एवं सगंध पौधों एवं धरेलू उपचार के उपयोग तथा आय सृजन पर जीवनीय सोसाइटी के अनुभवों पर आधारित भविश्य की रणनीति का विकास। जीवनीय सोसाइटी के एक दषक के पूरा होने पर देष भर के विभिन्न विषशज्ञों ने भाग लिया तथा अपने अनुभवों को साझा किया। स्मारिका तथा संक्षिप्त विवरण का प्रकाषन। रिपोर्ट तथा सिफारिषों के आधार पर अपने प्रयासों से कार्य का विस्तार।
20 उत्तर प्रदेश और उतरांचल के ग्रामों में औशधि तथा सगंध पौधों का विकास। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक 2005-07 उत्तर प्रदेश तथा उतरांचलं के किसानों तथा उद्यमियों के समूह बनाना जो औशधीय एवं सगंध पौधों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन की कड़ी स्थापित करें क्रेता-विक्रेता की नेटवर्क बैठकों की सहायता से किसानों और उद्यामियों में औशधीय एवं सगंध पौधों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन के लिए प्रर्दषों तथा आसवन संयत्र की स्थापना ताकि प्राथमिक प्रसंस्करण में सहायता हो सके।  
21 स्कूल उद्यानों के माध्यम से पौध जैव विविधता के संरक्षण पर जागरुकता कार्यक्रम। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार 2007-09 क्षात्रों तथा अध्यापकों में जैव विविधता के उपयोग तथा महत्व पर जागरुकता पैदा करना। लखनऊ तथा उसके आस-पास के 10 षहरी और ग्रामीण षिक्षण संस्थाओं में जडी-बूटी उद्यानों की स्थापना, कई कार्यषालाओं का आयोजन तथा जागरुकता अभियान। कई अन्य षिक्षण संस्थाओं तथा प्रतिश्ठानों ने समान बगीचों की स्थापना में रुचि दिखाई।