प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और आय सृजन में औशधि एवं सगंध पौधों का योगदान

औशधि एवं सगंध पौधों की कृशि, प्रसंस्करण एवं विपणन

जीवनीय सोसाइटी स्थानीय समुदाय, किसानों ओर उद्यमियों के मध्य औशधीय एवं सगंध पौधों के उत्पाद और उपयोग को वढ़ावा देने के लिये प्रयासरत है। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और आय सृजन के लिये औशधि एवं सगंध पौधों के उत्पादन हेतु निम्न प्रयास किये गये। -

  • लखनऊ के आसपास के स्कूलों, पार्कों, व्यावसायिक इकाइयों, आवासीय परिसरों में जड़ी-बूटी उद्यानों, कृशि प्रदर्षों व पौधषालाओं की स्थापना।
  • स्कूलों, स्वंयसेवी संगठनों, किसानों तथा उद्यमियों को औशधीय पौधों की खेती और प्राथमिक स्वास्थ्य में उनके उपयोग तथा आय सृजन विशयों पर उन्मुखीकरण कार्यषाला तथा प्रषिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन
  • उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेष, उड़ीसा, बिहार और राजस्थान के किसानों, उद्यमियों, सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के संस्थानों को औशधीय एवं सगंध पौधों की जैविक खेती की तकनीक पर जानकारीए रोपण सामग्री, साहित्य तथा मदद प्रदान करना।
  • औशधि एवं सगंध पौधों के उत्पाद और उनके प्रसंस्करण और विपणन के लिये किसानों का प्रषिक्षण एवं सहयोग।

 

हम निम्न पौधों की खेती, प्रसंस्करण ओर विपणन में मदद कर सकते हैं। :
  • जर्मन केमोमिला (Matricaria chamomilla)
  • कालमेघ (Andrographis paniculata)
  • हल्दी(Curcuma longa)
  • सर्पगंधा (Rauvolfia serpentina)
  • नींबू घास (Cymbopogon flexuosus)
  • ब्राह्मी (Bacopa monnieri)
  • पचैली(Pogostemon patchauli)
  • कुलंजन (Alpinia chinensis)
  • तुलसी (Ocimum sanctum)
  • पामारोसा (Cymbopogon martini)
  • वच (Acorus calamus)
  • घीक्वार (Aloe vera)
  • स्टीविया (Stevia rebaudiana

औशधि एवं सगंध पौधों का प्रसंस्करण

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के समर्थन से मलिहाबाद लखनऊ के रहमानखेड़ा गांव में जडी-बूटी धोने, सुखाने, पाउडर बनाने तथा आसवन से सगंध तेलों को प्राप्त करने के लिए सुविधाएं जुटायी गयी। कई किसानों और उद्यमियों को इन मषीनों पर प्रषिक्षण दिया गया है और वे अपनी उपज के प्रसंस्करण के लिए इनका प्रयोग भी कर रहे हैं। समाज के लोग अपने उत्पादों को बेच कर लाभान्वित हो रहे हैं। आसवन संयत्र कुछ समय अकबरपुर के अलीपुर गांव में स्थापित किया गया था बाद में इसे मलिहाबाद के कुकरा गांव में स्थानांतरित कर दिया गया है।

क्रेता-विक्रेता समागम

2005 मे भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) द्वारा प्रयोजित तथा राश्ट्ीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के सहयोग से क्रेता-विक्रेता का आयोजन किया गया जिसमें देष भार के कई क्षेत्रों से किसान, उद्यमि, आयुव्रेद तथा यूनानी के चिकित्सकों तथा आस पास के कई स्वंयसेवी संगठनों नें भाग लिया और लाभान्वित हुए।